NCERT Sanskrit Class 6 – Lesson 4

प्रस्तुत लेख में NCERT द्वारा कक्षा ६ के लिए प्रकाशित पुस्तक रुचिरा भाग १ के चतुर्थ: पाठः (विद्यालय:) में दिए गए संस्कृत वाक्यों का हिंदी अनुवाद एवं सभी अभ्यास प्रश्नों के उत्तर दिए गए हैं।

विद्यालयः – पाठ 4 का हिंदी अनुवाद

एषः विद्यालय:।
यह विद्यालय है।
अत्र छात्राः शिक्षका:, शिक्षिकाः च सन्ति।
यहाँ छात्र, अध्यापक और अध्यापिकाएँ हैं।

एषा सङ्गणकयन्त्र-प्रयोगशाला अस्ति।
यह कम्प्यूटर प्रयोगशाला है।
एतानि सङ्गकयन्त्राणि सन्ति।
ये सब कम्प्यूटर हैं।

एतत् अस्माकं विद्यालयस्य उद्यानम् अस्ति।
यह हमारे विद्यालय का बगीचा है।
उद्याने पुष्पाणि सन्ति।
बगीचे में फूल हैं।
वयम् अत्र क्रीडामः पठामः च।
हम सब यहाँ खलते हैं और पढ़ते हैं।

ऋचा – तव नाम किम्?
ऋचा – तुम्हारा नाम क्या है?
प्रणवः – मम नाम प्रणवः। तव नाम किम्?
प्रणव – मेरा नाम प्रणव है। तुम्हारा नाम क्या है?
ऋचा – मम नाम ऋचा। त्वं कुत्र पठसि?
ऋचा – मेरा नाम ऋचा है। तुम कहाँ पढ़ते हो?
प्रणवः – अहम् अत्र एव पठामि।
प्रणवः – मैं यही पढ़ता हूँ।
ऋचा – अहम् अपि अत्र एव पठामि। इदानीम् आवां मित्रे स्वः।
ऋचा – मैं भी यहीं पढ़ती हूँ। अब हम दोनों मित्र हैं।

शिक्षिका – छात्रा! यूयं किं कुरुथ?
शिक्षिका – छात्राओं! तुम सब यहाँ क्या कर रही हो?
छात्राः – आचार्ये! वयं गच्छामः।
छात्राएँ – हे शिक्षिका! हम सब जा रही हैं।
शिक्षिका – यूयं कुत्र गच्छथः?
शिक्षिका – तुम सब कहाँ जा रही हो?
छात्राः – वयं सभागारं गच्छामः।
छात्राएँ – हम सब सभागार जा रही हैं।
शिक्षिका – युष्माकं पुस्तकानि कुत्र सन्ति?
शिक्षिका – तुम्हारी पुस्तकें कहाँ हैं?
छात्राः – अस्माकं पुस्तकानि अत्र सन्ति।
छत्राएँ – हमारी पुस्तकें यहाँ हैं।

शिक्षकः – छात्रौ! युवां किं कुरुथः?
शिक्षक – छात्रों! तुम दोनों क्या कर रहे हो?
छात्रौ – आचार्य! आवां श्लोकं गायावः।
छात्र (दो) – हे आचार्य! हम दोनों श्लोक गा रहे हैं।
शिक्षकः – शोभनम्, किं युवां श्लोकं न लिखथ: ?
शिक्षक – अच्छा, क्या तुम दोनों श्लोक नहीं लिख रहे हो ?
छात्रौ – आवां लिखाव:, पठावः, गायावः, चित्राणि अपि रचयावः।
छात्र (दो) – हम दोनों लिख रहे हैं, पढ़ रहे हैं, गा रहे हैं, चित्र भी बना रहे हैं।
शिक्षकः – बहुशोभनम्!
शिक्षक – बहुत अच्छा!

अभ्यास प्रश्न 2

अभ्यास प्रश्न 3

अभ्यास प्रश्न 4

अभ्यास प्रश्न 5

अभ्यास प्रश्न 6

अभ्यास प्रश्न 7 (क) एवं (ख)

रचनानुवादकौमुदी अभ्यास २६

डॉ. कपिलदेव द्विवेदी जी (Dr. Kapil Dev Dwivedi Ji) द्वारा लिखित, संस्कृत भाषा सीखने की उत्तम पुस्तक रचनानुवादकौमुदी (Rachna Anuvad Kaumudi) के अभ्यास २६के सभी उत्तर (answer key) आप यहाँ देख कर मिलान कर सकते हैं।

आप से अनुरोध है, कृप्या अभ्यास प्रश्नों को स्वयं हल करने का प्रयास करें। प्रश्न हल करने के पश्चात् केवल मिलान हेतु इस उत्तरपुस्तिका का प्रयोग करें। यदि किसी भी प्रकार का संशय हो तो कृपया कमेंट में लिख सकते हैं।

मूल हिंदी वाक्य एवं संस्कृत अनुवाद –

१ उदाहरण- वाक्य-

  1. मेरे द्वारा पुस्तक पढ़ी जाती है।
    मया पुस्तकं पठ्‌यते।
  2. मया, त्वया, युष्माभिः, अस्माभिः, तेन, तै:, वा गृहं गम्यते।
    मेरे द्वारा, तेरे द्वारा, तुम सब के द्वारा, हम सब के द्वारा अथवा उसके द्वारा घर जाया जाता हैं।
  3. मया फलं खाद्यते, मया फले खाद्येते, मया फलानि खाद्यन्ते।
    मेरे द्वारा फल खाया जाता है, मेरे द्वारा दो फल खाये जाते हैं, मेरे द्वारा फलों को खाया जाता हैं।
  4. जनकेन बालः दृश्यते, बालौ दृश्येते, बालाः दृश्यन्ते।
    पिता के द्वारा बालक को देखा जाता है, दो बालकों को देखा जाता हैं, सब बालकों को देखा जाता हैं।
  5. तेन अत्र भूयते।
    उसके द्वारा होया जाता है।
  6. पुस्तकस्य कर्त्रा लेखो लिख्यते, श्रोत्रा हस्यते, गन्त्रा ग्रामो गम्यते, अध्येतृभिः पाठाः पठ्यन्ते, नप्त्रा भोजनं पच्येत, सवित्रा भास्येत, दृष्टृभिः छात्राः दृश्यन्ते, त्वष्ट्रा धात्रा विधात्रा च जगत् रच्यते, नेत्रा जनाः नियन्ताम्, स्तोतृभिः ज्ञातृभिश्च दाता सेव्यते, द्वेष्टा त्यज्यते, भोक्तृभिः भोजनं पच्यते खाद्यते च।
    पुस्तक के कर्ता द्वारा लेख लिखा जाता है, श्रोता के द्वारा हँसा जाता है, जाने वाले के द्वारा गाँव जाया जाता है, अध्येताओं के द्वारा पाठों को पढ़े जाते हैं, नाती के द्वारा भोजन पकाया जाएँ, सूर्य के द्वारा चमका जाएँ , दर्शकों के द्वारा छात्रों को देखा जाता हैं, बढ़ई, ब्रह्मा और ईश्वर के द्वारा जगत रचा जाता है, नेता द्वारा लोगों को ले जाया जाता है, स्तुतिकर्ताओं और जानने वालों के द्वारा देने वाले की सेवा की जाती है, द्वेषकर्ता को त्यागा जाता है, खाने वालों के द्वारा भोजन पकाया और खाया जाता है।
  7. बालकः उच्चैः रोदिति, अरोदित्, रोदितु, रुद्यात्, रोदिष्यति वा।
    बालक ऊँचे स्वर से रोता है, रोया, रो, रोवे अथवा रोयेगा।
  8. बालकेन उच्चैः रुद्यते, अरुद्यत, रुद्यताम्, रुद्येत, रोदिष्यते वा।
    बालक के द्वारा ऊँचे स्वर से रोया जाता है, रोया गया, रोया जाएँ, रोया जाना चाहिए अथवा रोया जायेगा।

२ संस्कृत बनाओः –

  1. तेरे द्वारा, मेरे द्वारा और उसके द्वारा हँसा जाता है।
    त्वया, मया, तै: च हस्यते।
  2. पुस्तक के कर्ता द्वारा ग्रन्थ पढ़ा जाता है।
    पुस्तकस्य कर्त्रा ग्रन्थः पठ्यते।
  3. धन के हर्ता द्वारा धन ले जाया जाता है।
    धनस्य हर्त्रा धनं नीयते।
  4. भार के धारणकर्ता द्वारा भार यहाँ लाया जाता है।
    भारस्य धर्त्रा भारः अत्र आनीयते।
  5. श्रोताओं के द्वारा हँसा जाता है।
    श्रोतृभिः हस्यते।
  6. वक्ता के द्वारा भाषण दिया जाता है।
    वक्त्रा भाष्यते।
  7. नाती के द्वारा गुरु की सेवा की जावे।
    नप्त्रा गुरुः सेव्येत।
  8. सूर्य के द्वारा तपा जाए।
    सवित्रा तप्येत।
  9. अध्येता के द्वारा तीन ग्रन्थ पढ़े जाएँ।
    अध्येत्रा त्रयः ग्रन्थाः पठ्येरन्।
  10. गाँवों को जाने वालों के द्वारा गाँवो को जाया जावे।
    ग्रामान् गन्तृभि: ग्रामाः गम्येरन्।
  11. दर्शक के द्वारा दो छात्र देखे जाएँ।
    द्रष्ट्रा द्वौ छात्रौ दृश्येताम्।
  12. नगर में बढ़ई, नेता, दानी, दर्शक, श्रोता, द्वेषकर्ता, निर्माता, स्तुतिकर्ता, उपभोगकर्ता, ज्ञाता और पढ़ने वाले सभी लोग रहते हैं।
    नगरे त्वष्टार:, नेतारः, दातारः, द्रष्टारः, श्रोतारः, द्वेष्टारः निर्मातारः, स्तोतारः, भोक्तारः, ज्ञातारः, अध्येतारः च जनाः वसन्ति।
  13. बालक रोता है।
    बालकः रोदिति।
  14. तू रोता है।
    त्वं रोदिषि।
  15. मैं रोता हूँ।
    अहं रोदिमि।
  16. वह रोवे।
    सः रोदितु।
  17. तू रो।
    त्वं रुदिहि।
  18. मैं न रोऊँ।
    अहं रोदानि।
  19. वह रोया।
    सः अरोदित्।
  20. तू रोया।
    त्वं अरोदीः।
  21. मै नहीं रोया।
    अहं न अरोदम्।
  22. वह रोयेगा।
    सः रोदिष्यति।
  23. तू भी रोयेगा।
    त्वम् अपि रोदिष्यसि।
  24. मैं नहीं रोऊँगा।
    अहं न रोदिष्यामि।

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रचनानुवादकौमुदी अभ्यास २५

डॉ. कपिलदेव द्विवेदी जी (Dr. Kapil Dev Dwivedi Ji) द्वारा लिखित, संस्कृत भाषा सीखने की उत्तम पुस्तक रचनानुवादकौमुदी (Rachna Anuvad Kaumudi) के अभ्यास २५ के सभी उत्तर (answer key) आप यहाँ देख कर मिलान कर सकते हैं।

आप से अनुरोध है, कृप्या अभ्यास प्रश्नों को स्वयं हल करने का प्रयास करें। प्रश्न हल करने के पश्चात् केवल मिलान हेतु इस उत्तरपुस्तिका का प्रयोग करें। यदि किसी भी प्रकार का संशय हो तो कृपया कमेंट में लिख सकते हैं।

मूल हिंदी वाक्य एवं संस्कृत अनुवाद।

१ उदाहरण वाक्य-

  1. स मदीयः त्वदीयश्च सखा अस्ति।
    वह मेरा और तेरा मित्र है।
  2. स्वकीयं सखायं पश्य।
    अपने मित्र को देखो।
  3. स्वकीयस्य सख्युः सुन्दरं मुखं पश्य।
    अपने मित्र का सुन्दर मुख देखो।
  4. सख्यौ विश्वासं कुरु।
    मित्रों पर विश्वास करो।
  5. स शोभनं, मधुरं च ब्रवीति, ब्रवीतु, ब्रुयात्, अब्रवीत् वक्ष्यति वा।
    वह सुन्दर और मीठा बोलता है, बोलो, बोलना चाहिए, बोला अथवा बोलेगा।
  6. अहम उच्चै: तारस्वरेण च ब्रवीमि, अब्रवं, वक्ष्यामि वा।
    मैं ऊँचा और उच्च स्वर से बोलता हूँ, बोला अथवा बोलूँगा।
  7. त्वं शनैः नीचैः वा ब्रवीषि, अब्रवी:, वक्ष्यसि वा।
    तू धीरे बोलता है, बोला अथवा बोलेगा।
  8. स धर्मं ब्रूयात्।
    स धर्म बोले।
  9. अहं सत्यं ब्रवीमि, त्वमपि सत्यं ब्रूहि।
    मैं सत्य बोलता हूँ, तू भी सत्य बोलो।
  10. स्वकीयं श्वेतं वस्त्रमानय, परकीयां रक्तां शाटिकां न आनय।
    अपने सफेद वस्त्र को लाओ, परायी लाल साड़ी को न लाओ।
  11. त्वदीयमेतत् कृष्णं पुस्तकं, मदीयमेतत् पीतं वस्त्रं, तदीयमिदं नीलं पुष्पम् , भवदीयमिदं हरितं वस्त्रम्।
    तेरी यह काली पुस्तक , मेरा यह पीले वस्त्र, उसका यह नीला फूल, आपका यह हरा वस्त्र।
  12. उष्णं शीतलं च जलमानय।
    गर्म और ठंडा जल लाओ।
  13. कोमलं शोभनं च ब्रुहि, न तु तीक्षणम्।
    कोमल और सुन्दर बोलो, न की तीखा।

२ संस्कृत बनाओ –

    1. वह उसका मित्र है।
      सः तदीयः सखा अस्ति।
    2. अपने मित्र को यहाँ साथ लाइये।
      स्वकीयं सखायम् अत्र सह आनय।
    3. उसके मित्र को धन दो।
      तदीयाय सख्ये धनं यच्छ।
    4. मेरे मित्र का यह कार्य कर दो।
      मदीयस्य सख्युः कार्यं कुरु।
    5. पराये मित्र पर विश्वास न करो।
      परकीये सख्यौ विश्वासं न कुरु।
    6. उस मनुष्य का वस्त्र श्वेत है।
      तस्य मनुष्यस्य वस्त्रं श्वेतम् अस्ति।
    7. किस कन्या की साड़ी हरी है और किसकी लाल।
      कस्यायाः कन्यायाः शाटिका हरितः अस्ति कस्याया: च रक्त ।
    8. उसके नीले वस्त्र को लाओ।
      तदीयं नीलं वस्त्रं आनय।
    9. मेरे पीले वस्त्र को न ले जाओ।
      मदीयं पीतं वस्त्रं न नय।
    10. अग्नि उष्ण होती है और जल शीतल।
      अग्नि: उष्णं भवति जलं शीतलं च।
    11. फूल कोमल और सुन्दर है।
      पुष्पं कोमलं शोभनं च अस्ति।
    12. फल मीठा और अच्छा है।
      फलं मधुरं समीचीनं च अस्ति।
    13. वह ऊँचे स्वर से बोलता है।
      सः तारस्वरेण ब्रवीति।
    14. मैं धीरे बोलता हूँ।
      अहं नीचैः ब्रवीमि।
    15. तू तीखा बोलता है।
      त्वं तीक्ष्णं ब्रवीषि।
    16. वह बोले।
      सः ब्रवीतु।
    17. तू बोल।
      त्वं ब्रूहि।
    18. मैं बोलूँ।
      अहं ब्रवाणि।
    19. वह बोला।
      सः अब्रवीत्।
    20. तू बोला।
      त्वम् अब्रवीः।
    21. मैं बोला।
      अहम् अब्रवम्।
    22. वह बोलेगा।
      स वक्ष्यति।
    23. तू बोलेगा।
      त्वं वक्ष्यसि।
    24. मैं बोलूँगा।
      अहं वक्ष्यामि।

    रचनानुवादकौमुदी पुस्तक के तीनो खंडो के सभी अभ्यास प्रश्नों के उत्तर देखने के लिए कृप्या यहाँ क्लिक करें। धन्यवाद।

    रचनानुवादकौमुदी अभ्यास २४

    डॉ. कपिलदेव द्विवेदी जी (Dr. Kapil Dev Dwivedi Ji) द्वारा लिखित, संस्कृत भाषा सीखने की उत्तम पुस्तक रचनानुवादकौमुदी (Rachna Anuvad Kaumudi) के अभ्यास २४ के सभी उत्तर (answer key) आप यहाँ देख कर मिलान कर सकते हैं।

    आप से अनुरोध है, कृप्या अभ्यास प्रश्नों को स्वयं हल करने का प्रयास करें। प्रश्न हल करने के पश्चात् केवल मिलान हेतु इस उत्तरपुस्तिका का प्रयोग करें। यदि किसी भी प्रकार का संशय हो तो कृपया कमेंट में लिख सकते हैं।

    मूल हिंदी वाक्य एवं संस्कृत अनुवाद।

    १ उदाहरण वाक्य-

    1. एताः संख्याः सन्ति, शंत सहस्रं लक्षं प्रयुतं कोटिः पद्मं शंखं महाशंखं च।
      ये संख्याएँ हैं, सौ, हजार, लाख, १० लाख, करोड़, १पद्म, १ शंख और महांशख।
    2. अद्यत्वे यस्य समीपे धनमस्ति, तस्य कीर्तिः प्रथते।
      आजकल जिसके पास में धन है, उसकी कीर्ति फैल रही है।
    3. सेनापतिः त्वरते।
      सेनापति शीघ्रता करता है।
    4. दुर्जनः प्रायः क्षोभते।
      दुर्जन अक्सर क्षुब्ध हो जाता है।
    5. मम नेत्रं मुहुः स्पन्दते।
      मेरी आँख बारबार फड़क रही है।
    6. सूर्यो भ्राजते।
      सूर्य चमकता है।
    7. एकविंशतिः, द्वाविंशति, त्रयस्त्रिशत्, चतुश्चत्वारिंशत्, पञ्चपञ्चाशत्, षट्षष्टि:, सप्तसप्ततिः, अष्टाशीति:, नवनवति: (एकोनशतम्) वा मनुष्याः।
      इक्कीस, बाईस, तैंतीस, चौंतालीस, पचपन, छियासठ, सतहत्तर, अठासी, अथवा निन्यानवे मनुष्य हैं।
    8. रामः अस्ति, अस्तु, आसीत्, स्यात्, भविष्यति वा।
      राम है, होवे, था, रहे अथवा होगा।

    २ संस्कृत बनाओ-

    1. २१ मनुष्य, ३१ कन्याएँ, ४२ पुस्तकें, ५३ फल, ६४ फूल, ७५ वस्त्र, ८६ विद्यालय और ९७ पाठशालाएँ हैं।
      एकविंशतिः मनुष्याः, एकत्रिंशत् कन्याः, द्विचत्वारिंशत् पुस्तकानि, त्रिपञ्चाशत् फलानि, चतुःषष्टि पुष्पाणि, पञ्चसप्ततिः वस्त्राणि, षडशीति: विद्यालयाः, सप्तनवतिः च पाठशालाः सन्ति।
    2. २३ फल, ३४ फूल, ४५ पुस्तकें, ५६ वस्त्र, ६७ कन्याएँ, ७८ मनुष्य, ८९ दिन, ९८ वर्ष।
      त्रयोविंशतिः फलानि, चतुस्त्रिंशत् पुष्पाणि, पञ्चचत्वारिंशत् पुस्तकानि, षट्पञ्चाशत् वस्त्राणि, सप्तषष्ठि: कन्याः, अष्टसप्तति: मनुष्याः, नवाशीतिः दिनानि, अष्टनवति: वर्षाणि।
    3. २ सौ, ३ सहस्र, १ हजार, १० हजार, १ लाख, १० लाख, १ किरोड़, १ अरब, १० अरब, १ खरब, १० खरब, १ नील, १० निल, १ पद्म, १० पद्म, १ शंख, १० शंख, महाशंख।
      द्विशती, त्रि सहस्रं, सहस्रम्, अयुतं, लक्षं, नियुतं, कोटिः, अर्बुदं, दशार्बुदम्, खर्वं, दशखर्वं, नीलं, दशनीलं, पद्मं, दशपद्मं, शंखं, दशशंखं, महाशंखं।
    4. आजकल धन ही धर्म और सत्य है।
      अद्यत्वे धनं एव धर्मं सत्यं च स्तः।
    5. राम की किर्ति फेल रही है।
      रामस्य कीर्तिः प्रथते।
    6. उसकी आँख धीरे-धीरे फड़क रही है।
      तस्य नेत्रं शनै: शनैः स्पन्दते।
    7. वह प्रायः क्षुब्ध हो जाता है।
      सः प्रायः क्षोभते।
    8. कृष्ण बार-बार शीघ्रता करता है।
      कृष्णः मुहुः त्वरते।
    9. बालक घर के ऊपर है, अतः वहाँ से गिरता है।
      बालकः गृहस्य उपरि अस्ति, अतः ततः भ्रंशते।
    10. सूर्य की किरणें चमकती हैं।
      सूर्यस्य मरीच्य: भ्राजन्ते।
    11. वह है।
      सः अस्ति।
    12. मैं हूँ।
      अहम् अस्मि।
    13. तू भी है।
      त्वम् अपि असि।
    14. वह था।
      सः आसीत्।
    15. तू भी था।
      त्वम् अपि आसीः।
    16. मैं भी था।
      अहम् अपि आसम्।
    17. वह वहाँ होगा।
      सः तत्र भविष्यति।
    18. तू भी वहाँ होगा।
      त्वम् अपि तत्र भविष्यसि।
    19. मैं यहाँ ही रहूंगा।
      अहम् अत्र एव भविष्यामि।
    20. वह यहाँ रहे।
      सः अत्र स्यात्।
    21. तू वहां रहना।
      त्वं तत्र स्या:।
    22. मैं यहीं होऊँ।
      अहम् अत्र स्याम्।

    रचनानुवादकौमुदी पुस्तक के तीनो खंडो के सभी अभ्यास प्रश्नों के उत्तर देखने के लिए कृप्या यहाँ क्लिक करें। धन्यवाद।

    NCERT Sanskrit Class 6 – Lesson 3

    प्रस्तुत लेख में NCERT द्वारा कक्षा ६ के लिए प्रकाशित पुस्तक रुचिरा भाग १ के तृतीय: पाठः, अकारान्त नपुंसकलिङ्ग में दिए गए संस्कृत वाक्यों का हिंदी अनुवाद एवं सभी अभ्यास प्रश्नों के उत्तर दिए गए हैं।

    अकारान्त नपुंसकलिङ्ग:– पाठ का हिंदी अनुवाद

    एतत् किम्?
    यह क्या है?
    एतत् खनित्रम् अस्ति।
    यह कुदाल है।
    श्रमिका खनित्रं चालयति।
    मजदूरनी कुदाल चलाती है।

    तत् किम्?
    वह क्या है?
    तत् विश्रामगृहम् अस्ति।
    वह विश्राम घर है।
    किम् अत्र भित्तिकम् अस्ति?
    क्या यहाँ दीवार है?
    अत्र भित्तिकं न अस्ति।
    यहाँ दीवार नहीं है।

    एते के?
    ये दो क्या हैं?
    एते अङ्गुलियके स्तः।
    ये दो अँगूठियाँ हैं।
    सुवर्णकारः अङ्गुलीयके रचयति।
    सुनार दो अँगूठियाँ बना रहा हैं।

    ते के?
    वे दो क्या हैं?
    ते बसायाने स्तः।
    वे दो बसें हैं।
    ते बसयाने कुत्र गच्छतः?
    वे दो बसें कहाँ जा रही हैं?
    ते रेलस्थानकं गच्छतः।
    वे दोनों रेलवे स्टेशन जा रही हैं।

    एतानि कानि?
    ये (सब) क्या हैं?
    एतानि करवस्त्राणि सन्ति।
    ये (सब) रुमाल हैं।
    किम् एतानि पुराणानि?
    क्या ये (सब) पुराने हैं?
    न, एतानि तु नूतनानि।
    नहीं, ये (सब) तो नये हैं।

    तानि कानि?
    वे (सब) क्या हैं?
    तानि कदलीफलानि सन्ति।
    वे (सब) केले के फल हैं।
    किं तानि मधुराणि?
    क्या वे (सब) मीठे हैं?
    आम्, तानि मधुराणि पोषकाणि च।
    हाँ, वे (सब) मीठे और पोषक हैं।

    अभ्यास प्रश्न 2 के उत्तर

    अभ्यास प्रश्न 3 के उत्तर

    अभ्यास प्रश्न 4 के उत्तर

    अभ्यास प्रश्न 5 के उत्तर

    अभ्यास प्रश्न 6 के उत्तर

    रचनानुवादकौमुदी अभ्यास २३

    डॉ. कपिलदेव द्विवेदी जी (Dr. Kapil Dev Dwivedi Ji) द्वारा लिखित, संस्कृत भाषा सीखने की उत्तम पुस्तक रचनानुवादकौमुदी (Rachna Anuvad Kaumudi) के अभ्यास २३ के सभी उत्तर (answer key) आप यहाँ देख कर मिलान कर सकते हैं।

    १ उदाहरण वाक्यः-

    1. एकादश छात्राः, द्वादश बालिका:, त्रयोदश पुस्तकानि, चतुर्दश फलानि, एकोनविंशति: पुष्पाणि चात्र सन्ति।
      ग्यारह छात्र, बारह बालिकाएँ, तेरह पुस्तकें, चौदह फल, उन्नीस फूल यहाँ हैं।
    2. प्रथमायां कक्षायां विंशति:, द्वितीयायां त्रिंशत्, तृतीयायां चत्वारिंशत्, चतुर्थ्यां पञ्चाशच्च छात्राः सन्ति।
      प्रथम कक्षा में बीस, द्वितीय में तीस, तृतीय में चालीस और चतुर्थ में पचास छात्र हैं।
    3. बालो भोजनम् अत्ति, अत्तु, अत्स्यति, अद्यात्, आदत् वा।
      बालक भोजन खाता है/ खावे / खायेगा/ खाना चाहिए अथवा खाया।
    4. राहुः सूर्यं ग्रसते।
      राहु सूर्य को ग्रसता (निगलता) है।
    5. दुःखं मां बाधते।
      दुःख मुझे दुःख देता है।
    6. सूर्यः मरीचिभिः राजते।
      सूर्य किरणों से शोभित होता है।
    7. शिष्यः गिरिं लङ्घते।
      शिष्य पर्वत को लाँघता है।
    8. तृतीयायाः कक्षायाः एकादशः, चतुर्थ्या: द्वादशश्च छात्रः अत्र अस्ति।
      तृतीय कक्षा का ग्यारह वाँ और चतुर्थ का बारह वाँ छात्र यहाँ हैं।
    9. नवम्याः कक्षायाः विंशतितमो (विंशो) वा दशम्याश्च त्रिंशत्तमो (त्रिंशो) वा छात्रोऽत्र अस्ति।
      नवम कक्षा का २० वाँ और दशम का ३० वाँ छात्र यहाँ हैं।
    10. काऽद्य तिथिरस्ति? पञ्चमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी वा।
      आज क्या तिथि है? पञ्चमी, षष्ठी, स्प्तमी अथवा अष्टमी।

    २. संस्कृत बनाओः-

    1. प्रथम कक्षा में १९, द्वितीय में २०, तृतीय में ३०, चतुर्थ में ४०, पंचम में ५०, षष्ठ में ६०, सप्तम में ७०, अष्टम में ८०,नवम में ९० और दशम में १०० छात्र हैं।
      प्रथमायां कक्षायाम् एकोनविंशति:, द्वितीयायां विंशतिः, तृतीयायां त्रिशत्, चतुर्थ्यां चत्वारिंशत्, पञ्चम्यां पञ्चाशत्, षष्ठ्यां षष्टिः, सप्तम्यां सप्ततिः, अष्टम्यां अशीतिः, नवम्यां नवतिः, दशम्यां शतं च छात्राः सन्ति।
    2. प्रथम कक्षा के ११ वें द्वितीय के १५ वें तृतीया के १६ वें, चतुर्थ के २० वें,पंचम के ४० वें, षष्ठ के ५० वें,सप्तम के ६० वें,अष्टम के ७० वें, नवम के ८० वें और दशम के ९० वें छात्र को गुरुजी बुला रहे हैं।
      प्रथमयाः कक्षायाःएकादशं, द्वितीयायाः पञ्चदशं, तृतीयायाः षोडशं, चतुर्थ्या: विशतितमं, पंचम्या: चत्वारिंशत्तमं:, षष्ठ्याः पञ्चाशत्तमं, सप्तम्याः षष्टितमम्, अष्टम्याः सप्ततितमं, नवम्याः अशीतितमं, दशम्याः नवतितमं च छात्रं गुरवः आह्वयन्ति।
    3. पुत्र खाना खाता है।
      पुत्रः भोजनम् अत्ति।
    4. बालक फल खावे।
      बालकः फलम् अत्तु।
    5. बालिका भात खायेगी।
      बालिका ओदनम् अत्स्यति।
    6. शिष्य ने खाना खाया।
      शिष्यः भोजनम् आदत्।
    7. राम को फल खाना चाहिए।
      राम: फलम् अद्यात्।
    8. राहु सुर्य को ग्रसता है।
      राहुः सूर्यं ग्रसते।
    9. केतु चन्द्रमा को ग्रसता है।
      केतुः चन्द्रं ग्रसते।
    10. राजा शोभित होता है।
      नृपः राजते।
    11. पाप मुझको दुःख देता है।
      पापं मां बाधते।
    12. सेनापति पर्वत को लाँघता है।
      सेनापतिः गिरिं लङ्घते।

    रचनानुवादकौमुदी पुस्तक के तीनो खंडो के सभी अभ्यास प्रश्नों के उत्तर देखने के लिए कृप्या यहाँ क्लिक करें। धन्यवाद।

    NCERT Sanskrit Class 6 – Lesson 2

    प्रस्तुत लेख में NCERT द्वारा कक्षा ६ के लिए प्रकाशित पुस्तक रुचिरा भाग १ के द्वितीय: पाठः, आकारान्त स्त्रीलिङ्ग में दिए गए संस्कृत वाक्यों का हिंदी अनुवाद एवं सभी अभ्यास प्रश्नों के उत्तर दिए गए हैं।

    आकारान्त स्त्रीलिङ्ग – पाठ का हिंदी अनुवाद

    एषा का?
    यह क्या है?
    एषा दोला।
    यह झूला है।
    दोला कुत्र अस्ति?
    झूला कहाँ है?
    दोला उपवने अस्ति।
    झूला बगीचे में है।

    सा का?
    वह क्या है?
    सा घटिका।
    वह घड़ी है?
    घटिका किं सूचयति?
    घड़ी क्या बताती है/ सूचित करती है।
    घटिका समयं सूचयति।
    घड़ी समय बताती है।

    एते के?
    ये दो कौन हैं?
    किम् एते कोकिले?
    क्या ये दो कोयल हैं?
    न, एते चटके।
    नहीं, ये दो गौरेया हैं।
    चटके किं कुरुतः?
    दो गौरैया क्या कर रही हैं?
    एते विहरत:।
    ये दोनों फुदक रही हैं।

    ते के?
    वे दोनों कौन हैं।
    ते चालिके स्तः।
    वे दोनों चालिकाएँ हैं।
    ते किं कुरुतः।
    वे दोनों क्या कर रही हैं?
    ते वाहनं चालयत:।
    वे दोनों वाहन चला रही हैं।

    एताः काः?
    ये (सब) क्या हैं?
    एता: स्थालिकाः।
    ये (सब) थालियाँ हैं।
    किम् एताः गोलाकाराः?
    क्या ये (सब) गोलाकार हैं?
    आम् , एताः गोलाकाराः एव।
    हाँ, ये (सब) गोलाकार ही हैं।

    ताः का?
    वे सब कौन है?
    ताः अजाः?
    वे सब बकरियाँ हैं।
    ताः किं कुर्वन्ति?
    वे सब क्या कर रही हैं?
    ताः चरन्ति।
    वे सब चर रही हैं।

    अभ्यास प्रश्न 2

    अभ्यास प्रश्न 3 व 4

    अभ्यास प्रश्न 5 व 6

    अभ्यास प्रश्न 7 व 8

    NCERT Sanskrit Class 6 – Lesson 1

    प्रस्तुत लेख में NCERT द्वारा कक्षा ६ के लिए प्रकाशित पुस्तक, रुचिरा भाग १ के प्रथमः पाठः, अकारान्त पुँल्लिङ्गः में दिए गए संस्कृत वाक्यों का हिंदी अनुवाद एवं सभी अभ्यास प्रश्नों के उत्तर दिए गए हैं।

    अकारान्त पुँल्लिङ्गः – पाठ का हिंदी अनुवाद

    एषः कः?
    यह क्या है?
    एष: चषकः।
    यह गिलास है।
    किम् एषः बृहत्?
    क्या यह बड़ा है?
    न, एषः लघुः।
    नहीं, यह छोटा है।

    सः कः?
    वह कौन है?
    सःसौचिक:।
    वह दर्जी है।
    सौचिकः किं करोति?
    दर्जी क्या कर रहा है।
    किं सः खेलति।
    क्या वह खेल रहा है?
    न, सः वस्त्रं सीव्यति।
    नहीं, वह वस्त्र सिल रहा है।

    एतौ कौ?
    ये दोनों कौन हैं?
    एतौ शुनकौ स्तः।
    ये दोनों कुत्ते हैं।
    किम् एतौ गर्जतः?
    क्या ये दोनों गरजते/ दहाड़ते हैं?
    न, एतौ उच्चै: बुक्कतः।
    नहीं ये दोनों जोर से भौंक रहे हैं।

    तौ कौ?
    वे दोनों कौन हैं?
    तौ बलीवर्दौ स्तः।
    वे दोनों बैल हैं।
    किं तौ धावतः?
    क्या वे दोनों दौड़ रहे हैं?
    न, तौ क्षेत्रं कर्षतः।
    नहीं, वे दोनों खेत जोत रहे हैं।

    एते के?
    ये (सब) क्या हैं?
    एते स्यूताः सन्ति।
    ये (सब) थैले हैं।
    किम् एते हरितवर्णाः?
    क्या ये हरे रंग के हैं?
    नहि, एते नीलवर्णाः सन्ति।
    नहीं, ये नीले रंग के हैं।

    ते के?
    वे (सब) कौन है?
    ते वृद्धा: सन्ति।
    वे (सब) बूढ़े लोग हैं।
    किं ते गायन्ति?
    क्या वे गा रहे हैं?
    नहि, ते हसन्ति।
    नहीं, वे हँसते हैं/ हँस रहे हैं।

    अभ्यास प्रश्न –

    अभ्यास 2 (क), 2 (ख), 3 व 4 के उत्तर

    5. चित्र दृष्ट्वा उत्तर लिखत –

    बालकः किं करोति ?
    बालक क्या कर रहा है।
    बालकः पठति।
    बालक पढ़ रहा है।

    अश्वौ किं कुरुतः?
    दो घोड़े क्या कर रहे हैं?
    अश्वौ धावत:।
    दो घोड़े दौड़ रहे हैं।

    कुक्कराः किं कुर्वन्ति?
    कुत्ते क्या कर रहे हैं?
    कुक्करा: बुक्कन्ति।
    कुत्ते भौंक रहे हैं।

    छात्रौ किं कुरुतः?
    दो क्या कर रहे हैं?
    छात्रौ गायतः।
    दो छात्र गा रहे हैं।

    कृषकः किं करोति?
    किसान क्या कर रहा है।
    कृषकः क्षेत्रं कर्षति।
    किसान खेत जोत रहा है।

    गजौ किं कुरुतः?
    दो हाथी क्या कर रहे हैं?
    गजौ चलतः।
    दो हाथी चल रहे हैं।

    अभ्यास 6 के उत्तर

    अभ्यास 7 व 8 के उत्तर

    रचनानुवादकौमुदी अभ्यास २२

    डॉ. कपिलदेव द्विवेदी जी (Dr. Kapil Dev Dwivedi Ji) द्वारा लिखित, संस्कृत भाषा सीखने की उत्तम पुस्तक रचनानुवादकौमुदी (Rachna Anuvad Kaumudi) के अभ्यास २२ के सभी उत्तर (answer key) आप यहाँ देख कर मिलान कर सकते हैं।

    १ उदाहरण वाक्य:-

    1. पञ्च बालकाः, षड् बालिकाः, सप्त पुस्तकानि, अष्ट जनाः, नव वस्त्राणि, दश फलानि चात्र सन्ति।
      पाँच बालक, छः बालिकाएँ, सात पुस्तकें, आठ मनुष्य, नौ वस्त्र और दस फल यहाँ हैं।
    2. प्रथमः छात्रः, द्वितीया बाला, तृतीयं पुस्तकं, चतुर्थं पुस्तकं, पञ्चमः पुत्रः, षष्ठः कविः, सप्तमं दिनम्, अष्टमं वर्षं, नवमी तिथि:, दशमः क्रोशः।
      पहला छात्र, दूसरी बालिका, तीसरी पुस्तक, चौथी पुस्तक, पाँचवां पुत्र, छठा कवि, सतवाँ दिन, आठवाँ वर्ष, नवमी तिथि, दसवाँ कोस।
    3. शिष्यः गुरुं गुरोः वा अनुकरोति।
      शिष्य गुरु का अनुकरण करता है।
    4. नृपः राज्यम् अधिकरोति।
      राजा राज्य पर अधिकार करता है।
    5. दुर्जनः सज्जनस्य अपकरोति।
      दुर्जन सज्जन पर अपकार करता है।
    6. नृपः चोरं तिरस्करोति।
      राजा चोर का तिरस्कार करता है।
    7. शिष्य: मुनित्रयं नमस्करोति।
      शिष्य त्रिमुनि को नमस्कार करता है।
    8. नरः दुःखं प्रतिकुर्यात्।
      मनुष्य दुःख का प्रतिकार करे ।
    9. नृपः सज्जनस्य उपकरिष्यति।
      राजा सज्जन पर उपकार करेगा।
    10. विद्या ज्ञानं संस्करोति।
      विद्या ज्ञान को शुद्ध करती है।
    11. कन्या शरीरम् अलंकरोति।
      कन्या शरीर को अलंकृत करती है।
    12. प्राज्ञः विमानं धूम्रयानं चाविष्करोति।
      विद्वान् विमान और रेलगाड़ी का आविष्कार करता है।
    13. यतिरेतद् धनं स्वीकरोति।
      यति इस धन को स्वीकार करता है।
    14. स गुरुम् अन्वकरोत्।
      उसने गुरु का अनुकरण किया।
    15. गुरुः शिष्यस्य उपाकरोत् उपकारं वाऽकरोत्।
      गुरु ने शिष्य पर उपकार किया।

    २. संस्कृत बनाओ:-

    1. पाँच पुस्तकें, छ: छात्र, सात लड़कियाँ, आठ आसन, नौ गुरु, दस पाठक यहाँ हैं।
      पञ्च पुस्तकानि, षट् छात्राः, सप्त बालिका:, अष्ट आसनानि, नव गुरुवः, दश पाठकाः अत्र सन्ति।
    2. पाँचवीं पुस्तक, छठा छात्र, सातवीं लड़की, आठवाँ आसन, नवें गुरु, दसवें राजा भी यहाँ पर ही हैं।
      पञ्चमं पुस्तकं, षष्ठः छात्रः, सप्तमी बालिका, अष्टमम् आसनं, नवमः गुरुः, दशमः नृपः अपि अत्र एव सन्ति।
    3. वह पिता का अनुकरण करता है।
      सः जनकम् अनुकरोति।
    4. शत्रु नगर पर अधिकार करता है।
      शत्रुः नगरमधिकरोति।
    5. चोर मेरा उपकार करता है।
      चोरः मम अपकरोति।
    6. मूर्ख विद्वान् का तिरस्कार करता है।
      मूर्खः प्राज्ञं तिरस्करोति।
    7. मैं गुरु को नमस्कार करता हूँ।
      अहं गुरुं नमस्करोमि।
    8. तूने शत्रुओं का प्रतिकार किया।
      त्वं शत्रुन् प्रत्यकरो:।
    9. मैंने छात्रों का उपकार किया।
      अहं छात्राणाम् उपाकरवम्।
    10. बालिका ने अपने शरीर को अलंकृत किया।
      बालिका स्वशरीरम् अलमकरोत्।
    11. गुरु आसान को अलंकृत करता है।
      गुरुः आसनम् अलंकरोति।
    12. बुद्धिमान् विमान और रेलगाड़ी का उपयोग करते हैं।
      प्राज्ञः विमानस्य धूम्रयानस्य च उपयोगं कुर्वन्ति।
    13. शिष्य इस पुस्तक को स्वीकार करता है।
      शिष्यः एतद् पुस्तकं स्वीकरोति।
    14. मैं शरीर को शुद्ध करता हूँ।
      अहं शरीरं संस्करोमि।
    15. संस्कृत भाषा मनुष्य को संस्कृत करती है।
      संस्कृतभाषा नरं संस्करोति।

    रचनानुवादकौमुदी पुस्तक के तीनो खंडो के सभी अभ्यास प्रश्नों के उत्तर देखने के लिए कृप्या यहाँ क्लिक करें। धन्यवाद।

    रचनानुवादकौमुदी अभ्यास २१

    डॉ. कपिलदेव द्विवेदी जी (Dr. Kapil Dev Dwivedi Ji) द्वारा लिखित, संस्कृत भाषा सीखने की उत्तम पुस्तक रचनानुवादकौमुदी (Rachna Anuvad Kaumudi) के अभ्यास २१ के सभी उत्तर (answer key) आप यहाँ देख कर मिलान कर सकते हैं।

    १. उदाहरण वाक्यः –

    1. चत्वारः छात्राः, चतस्रः कन्याः, चत्वारि पुस्तकानि च अत्र वर्तन्ते।
      चार छात्र, चार कन्याएँ और चार पुस्तकें यहाँ है।
    2. चतुर्णां छात्राणां, चतसृणां कन्यानां एतानि चत्वारि वस्त्राणि सन्ति।
      चार छात्रों के, चार कन्याओं के ये चार वस्त्र हैं।
    3. स चतुर्भुजं चर्तुर्वर्गार्थं सेवते।
      वह विष्णु की चारों वर्ग के लिए सेवा करता है।
    4. सः अजां हरति, शत्रुषु प्रहरति, जलम् आहरति, शत्रुं संहरति, वने विहरति, असत्यं परिहरति, धनम् अपहरति, देवेभ्यः बलिमुपहरति, वेदम् उद्धरति, वचनम् उदाहरति, धर्मं व्यवहरति, सत्यं च व्याहरति।
      वह बकरी को ले जाता है, शत्रु पर प्रहार करता है, जल को लाता है, शत्रु को नष्ट करता है, वन में विहार करता है, असत्य को छोड़ता है, धन चुराता है, देवताओं के लिए बलि भेंट करता है, वेद का उद्धार करता है, वचन को बोलता है, धर्म में व्यवहार करता है और सत्य को बोलता है।
    5. सः गुरुम् अनुनयति, कृष्णम् अभिनयति, जलम् आनयति, शत्रुन् अपनयति, शिष्यम् उपनयति, कन्यां च परिणेष्यति, पुस्तकं प्रणेष्यति, विवादस्य च कारणं निर्णेष्यति।
      वह गुरु को मनाता है, कृष्ण का अभिनय करता है, जल को लाता है, शत्रु को हटाता है, शिष्य का उपनयन करता है, कन्या का विवाह करेगा है, पुस्तक को लिखेगा है और विवाद के कारण का निर्णय करेगा है।

    २. संस्कृत बनाओ: –

    1. चार शिष्य, चार कन्याएँ, चार फल और चार पुस्तकें यहाँ है।
      चत्वारः शिष्याः, चतस्रः कन्याः, चत्वारि फलानि, चत्वारि पुस्तकानि च अत्र वर्तन्ते।
    2. चार बालकों और चार बालिकाओं को ये चार फल दो।
      चतुर्भ्यः बालकेभ्यः, चतसृभ्यः बालिकाभ्यः च एतानि चत्वारि फलानि यच्छ।
    3. चार शिष्य चतुर्वर्ग के लिए चतुर्भुज की चार बार वन्दना करते हैं।
      चत्वारः शिष्याः चर्तुर्वर्गाय चतर्भुजं चतुर्वारं वन्दन्ते।
    4. चार छात्रों को ये फल चार बार चार प्रकार से दो।
      चतुर्भ्यः छात्रेभ्यः एतानि फलानि चतुर्वारं चतुर्धा यच्छ।
    5. राजा शत्रु पर प्रहार करता है।
      नृपः शत्रौ प्रहरति।
    6. वह धन संग्रह करता है।
      सः धनम् आहरति।
    7. वह धन चुराता है।
      सः धनम् अपहरति।
    8. मैं शत्रुओं का संहार करूँगा।
      अहं शत्रुं संहरिष्यामि।
    9. मैं जल में विहार करूँगा।
      अहं जले विहरिष्यामि।
    10. मैं दुःखों का परिहार करूँगा।
      अहं दु:खानि परिहरिष्यामि।
    11. दुर्जन कन्या का अपहरण करता है।
      दुर्जनः कन्याम् अपहरति।
    12. वह कन्या को फूल उपहार देता है।
      सः कन्यायै पुष्पाणि उपहरति।
    13. वह धर्म का उद्धार करे।
      सः धर्मम् उद्धरेत्।
    14. वह कथा कहे।
      सः कथाम् उदाहरेत्।
    15. वह सत्य व्यवहार करे।
      सः सत्यं व्यवहरेत्।
    16. वह असत्य न बोले।
      सः असत्यं न व्याहरेत्।
    17. वह पिता को मनाता है।
      सः जनकम् अनुनयति।
    18. वह राम का अभिनय करता है।
      सः रामम् अभिनयति।
    19. तू दुःखों को दूर करता है।
      त्वं दुःखानि अपनयसि।
    20. तू फल ला।
      त्वं फलम् आनय।
    21. गुरु शिष्य का उपनयन करे।
      गुरुः शिष्यम् उपनयेत्।
    22. राम सीता से विवाह करे।
      रामः सीतां परिणयेत्।
    23. कवि पुस्तक रचे।
      कविः पुस्तकं प्रणयेत्।
    24. राजा विवाद का निर्णय करेगा।
      नृपः विवादं निर्णेष्यति।

    रचनानुवादकौमुदी पुस्तक के तीनो खंडो के सभी अभ्यास प्रश्नों के उत्तर देखने के लिए कृप्या यहाँ क्लिक करें। धन्यवाद।

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